Abhishek Rathore

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रहस्य मय चश्मा

चश्मा भी किसी कलाकार ने क्या खूब बनाया था फ्रेम मे नक्काशी की हुई थी। लकड़ी का बना होने के बाद भी कोई बता नही सकता था कि लकड़ी का बना है उसपर सोने का पानी चढ़ा था। दूर से देखो तो ऐसे लगता था कि सोने का है।

कपाली उसे बड़े गौर से देख रहा था वो सोच रहा था कि ये सारे दृश्य तो मेरे देखे हुआ लग रहे हैं, पर कहां और कब देखा है पता नही चल रहा।

दृश्य आरहे थे और जा रहें थे एक फ़ास्ट फिल्म की तरह से, कपाली से ये ज्यादा देर देखा नहीं गया और वो चीखा, "ओ भाईसाहब। ये चश्मा मे तो कुछ है।" उसने जल्दी से चश्मा गिरा दिया,..  सभी ने जल्दी से कपाली को देखा और पूछा , "क्या है इसमे ?"

"पता नही पूरा शरीर हिल गया। "कपाली पूरी जान लगा कर बोला। उसको अभी तक यकीन नहीं हों रहा था, वो उस झटके से और दिखने वाले उन दृश्य से उबार नहीं पाया था,

उन तीनों को कपाली पर भरोसा तो नहीं था लेकिन कपाली के चेहरे को देख कर लग रहा था के ये सच ही बोल रहा है..

शिखर ने चश्मे को उसके थैले से पकड़ कर उठाया.. सभी चश्मे को लेकर उसी हाल कमरे मे आये तो तान्या ने फिर से देखा जैसे उस तस्वीर मे जो रानी थी उसकी पलकें झपक रही थी लेकिन तान्या ने चुप रहने मे ही भलाई समझी नही तो फिर से सोहन और वे सब उस का मजाक बनाते । कपाली पहले ही थोड़ा डरा हुआ था,

सोहन उन सबको देखता हुआ बोला, चलो इस महल के खंडहर मे घुमने का एक तो फायदा हुआ एक एंटीक पीस हाथ लग गया।

तभी सोहन कपाली के हाथ से चश्मा लेकर उसे उलट  कर देखने लगा और बोला,"यार पहले जमाने मे भी चश्मे होते होंगे मुझे तो बड़ा अच्छा लग रहा है ये । देखूं तो इसे पहन कर कुछ दिखाई भी देता है या नही।"

यह कह कर सोहन उस चश्मे को लगाने लगा। पर वो चश्मा उसे ढीला था। वो उसके मुंह से उतरता भाग रहा था पर तभी सोहन एकदम से चीखा, "ठहरो !कौन है वहां ?"

और वो महल के खंडहर से बाहर जंगल की तरफ दौड पड़ा। सब उसको देख रहें थे, सबको लगा सोहन बस मज़ाक कर रहा है, लेकिन जब सबने देखा, के चश्मा लगाते ही सोहन के भागने की रफ्तार बहुत तेज हो गयी थी वो उसके पीछे भागने लगे, वे तीनों दोस्त चाह कर भी उसे नही पकड़ पाये। सोहन आगे आगे भाग रहा था और वो तीनों पीछे पीछे थे..

देखते ही देखते सोहन आंखों से ओझल हो गया। थोड़ी देर बाद तीनों ने सोहन की चीख सुनी।वे हक्के बक्के रह गए कि आखिर सोहन को क्या दिखाई दिया जिस का पीछा करते करते वो पता नहीं कहां चला गया। वे दौड़ते हुए उसी दिशा में गये जहां सोहन गया था पर वो किसी को दिखाई नही दिया वे दौडते दौड़ते बीच जंगल मे पहुंच गये इतने मे अचानक से तान्या के पैर के साथ कोई चीज टकराई। उसने गौर से देखा तो वह वहीं चश्मा था। तान्या ने उसको अपने टीशु पेपर से उठाया और उठा कर उसे जेब मे रख लिया। वो सब सोहन को आवाज़ दे रहे थे, लेकिन सोहन का कुछ पता नहीं था,

अगर चश्मा यहाँ था तब सोहन भी यहाँ होना चाहिए था.. लेकिन वो वहाँ कहीं भी नज़र नहीं आया..

उधर सोहन ने जैसे ही चश्मा पहना वह क्या देखता है। एक मैले कुचैले कपड़े पहने एक बूढ़ा, वो अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उसको घूर रहा था, बड़ी बड़ी आंखें, ऐसा लग रहा था जैसे जब लोग अंधेरे मे देखते है तो अपनी आंखें फेलाते है उसी प्रकार उसकी आंखें थी। बाल बिखरे हुए थे और वो दौडकर हवेली के दरवाज़े पर आकर खड़ा हो गया। और वो सोहन को हाथ के इशारे से बाहर बुला रहा था और वो दौड़ता हुआ जंगल की तरफ जाने लगा। तभी सोहन दौड़ा दौड़ा उसके पीछे यह कहते हुए दौड़ा,"कौन है वहां?"

वह दौड़ता हुआ महल के खंडहर से बाहर आ गया और उस व्यक्ति के पीछे पीछे जंगल की ओर भागने लगा। एक जगह जाकर वह व्यक्ति रुका और सोहन की तरफ जैसे ही उसने मुंह किया सोहन की चीख निकल गयी।

सोहन ने देखा अब एक औरत वहाँ खड़ी थी, उसके बड़े बड़े नुकीले दांत, आंखों मे क्रूरता, और उस के मुंह का एक हिस्सा जला हुआ था जो गल गल के नीचे गिर रहा था साथ ही उसके घाव से खून, मवाद और कीड़े झड़ रहे थे ऐसी शक्ल वाली औरत उसके सामने खड़ी थी सोहन ने इससे ज्यादा भयानक चेहरा आज तक नही देखा था। जैसे ही सोहन चीखा तो वह बेहोश हो गया…

कुछ समय बाद उसको होश आया तो उसने अपने आप को एक बंद कमरे मे पाया कमरे में कोई खिड़की यां कुछ नहीं था, चारों तरफ से बंद था, सोहन घबराहट में अपने दोस्तों को आवाज़ देने लगा..

इधर कपाली, तान्या और शिखर सोहन को पागलों की तरह पूरे जंगल मे ढूंढ रहे थे। सोहन ,सोहन चिल्लाते हुए उनका गला सूख गया आखिर थक हार कर वो वापस अपनी गाड़ी के पास आ गये गाड़ी से पानी निकाल कर तीनों ने पीया

शिखर बोला,"यार ! अब क्या करेंगे ? सोहन अचानक कहां चला गया सारा जंगल छान मारा। हे भगवान वह ठीक हो वैसे वो है मसखरा अगर ये उसका कोई मजाक हुआ तो मैं उसे इतना मारुंगा ना कि याद रखेगा। भला ये भी कोई तरीका है मजाक करने का।" शिखर झुंझलाते हुए खीझ कर बोला।

इतने मे तान्या शिखर के पास आयी और जेब से वो चश्मा निकाल कर कपाली और शिखर को दिखाते हुआ बोली ,"उसके साथ ज़रूर कोइ बात हुई है ये देखो वो ये चश्मा लगाकर ही किसी को देखते हुए बाहर गया था और उसी के पीछे पीछे जंगल की ओर दौड़ा था जब कि हमें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। और ये चश्मा हमको वहीं जंगल में मिला लेकिन सोहन नहीं मिला… कपाली को बहुत कुछ दिखा था चश्मा उठाने पर..

कपाली ने तान्या के हाथ से चश्मा लेकर उलट पलट कर देखा, "हां है तो वो ही चश्मा जो हमे उस दीवार के आले मे मिला था। पर ये सोहन पहन कर जंगल की तरफ भागा था। अगर चश्मा वही पड़ा मिला तो सोहन कहां गया कही कोई जंगली जानवर तो नहीं खागया होगा।"

"शुभ शुभ बोलो कपाली", तान्या अंदर तक कांप गयी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे..

"अगर ऐसा कुछ हो गया तो उसके मम्मी पापा को क्या मुंह दिखाएंगे ।"

तभी शिखर बोला," नही अगर कोई जंगली जानवर ले गया होता तो उसके कपड़े के चीथड़े या खून के धब्बे कुछ तो दिखाई देता। वहां तो कही कुछ नही था ऐसा लग रहा था जैसे धरती फटी होगी और वो उसमे समा गया होगा।

तीनों दोस्त आपस मे बात कर रहे थे के इतने मे तान्या बोली,"यार मुझे यहां कुछ गड़बड़ लग रही है।"

तभी शिखर बोला, "तुम्हारा मतलब है भूत प्रेत वगैरह।"

तान्या ने अपने आँसू साफ कर के कहा,.. "हां ऐसा ही कुछ लग रहा है।"

कपाली बोला,"मुझे तो पहले से ही भान हो गया था कि यहां कुछ ना कुछ तो जरूर है। क्यों कि हमारा सारा दिन भूत प्रेत से वास्ता पड़ता है मतलब अप्पा (पिताजी) का यही काम तो है भूत प्रेत निकालना। और मिस्टर शिखर जो तुम भूत देखने की रट लगा कर बैठे थे बहुत पहले ही तुम उसे देख चुके हो।"

शिखर बोला,"वो कैसे ?"

"जब हमारी गाड़ी खराब हुई थी तो वो ऐसे ही थोडे हुआ था ये सब उसी आत्मा का खेल है । जब हम गाड़ी से निकले थे तो जो राहागीर से हम सब बात कर रहें थे वो और कोई नही था वो भूत ही था ।"

तान्या बोली ,"तुम इतने दावे  से कैसे कह सकते हो।"

"तुमने गौर ही नही किया वो कैसा बर्ताव कर रहा था।

उसकी आंखे नही झपक रही थी । उसने महल के खंडहर के अलावा और किसी बात का सही ढंग से जवाब नही दिया। ऐसा लग रहा था जैसे वो हमे खंडहर में भेजना चाहता था और एक बात हम मोबाइल लेने ही गाड़ी की तरफ मुड़े थे इतने मे वो बंदा गायब । हम ने दूर दूर तक गांव को जाने वाली पगडंडी पर भी देखा वो हमे कही भी दिखाई नही दिया। और कितने उदाहरण दूं कि वो कोई आत्मा थी ।

शिखर बोला,"यार तू मुझे पहले नही बता सकता था।

कपाली बोला, "अगर बता देता तो तू डर जाता.. मैंने नहीं बताया और बस मुझे शक था, पक्का नहीं था लेकिन अब ये सब देख कर लग रहा है के वो आत्मा ही थी..

तभी तान्या झल्लाते हुए बोली, "अब बस करो ये बातें अब ये बताओ कि सोहन को कैसे ढूंढे ?"

लेकिन उन तीनों के पास ही कोई जवाब नहीं था.. वो सोचने लगे..

तान्या इतनी देर से चुप बैठी कुछ सोच रही थी तभी उसे कोई बात समझ आयी उसने कपाली के हाथ मे झूल रहे चश्मे को झपटा मार कर ले लिया और उसे उलट पटल कर देखने लगी

कपाली बोला,"अब तुम्हें क्या समझ आ गया जो इस तरह से चश्मे को उलट पलट कर देख रही हो ।"

तभी तान्या कुछ सोचते हुए बोली,"इस चश्मे का और सोहन के लापता होने का कोई ना कोई संबंध जरूरी है। तुम्हें याद है जब हम हवेली के खंडहर मे उस हाल कमरे मे पहुंचे थे और तुम जब ऊपर सीढ़ियों मे जाकर उस तस्वीर पर लिखा नाम पढ रहे थे तब मैंने नीचे से देखा था उस रानी की तस्वीर मे उसकी पलकें झपकी थी। सोहन ने मेरा कहा हंसी मे उड़ा दिया। वास्तव मे उसकी आंखें झपक रही थी

कपाली बोला, "हां मुझे भी कुछ अजीब सा लग रहा था एक नेगेटिव एनर्जी थी उस तस्वीर मे । जब मैंने उसे छुआ तो एक करंट सा दौड़ गया था पूरे शरीर में।

मैंने पहले तो सोचा शायद ये मेरा वहम है पर अब जब से सोहन लापता हुआ है तब तो शक यकीन मे बदल गया है कि यहां कुछ ना कुछ तो घटित हुआ है और यहां पर जो एनर्जी है वो हमे कुछ बताना चाहतीं है।

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6 Comments

Anjali korde

10-Aug-2023 09:49 AM

अद्भुत

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Babita patel

07-Aug-2023 10:29 AM

Nice

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shweta soni

24-Mar-2023 01:17 PM

👌👌👌

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